नोएडा: नाम बड़े और दर्शन छोटे। आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी। मेरठ-सहारनपुर मंडल के कई कॉलेजों पर यह कहावत सटीक बैठती है। मूलभूत सुविधाएं तो दूर की बात हैं, मानकों के अनुसार शिक्षक भी नहीं हैं। जबकि दस्तावेजों में कॉलेजों ने सारे मानक दुरुस्त बता रखे हैं। अब ऐसे कॉलेजों पर तलवार लटक गई है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) मंडल के कॉलेजों में शिक्षकों का भौतिक सत्यापन करा रहा है। जिसमें बड़े पैमाने पर कॉलेजों की धांधली सामने आने की संभावना है।
सीसीएसयू प्रथम चरण में एमएड कोर्स संचालित करने वाले कॉलेजों के शिक्षकों का भौतिक सत्यापन (वेरीफिकेशन) कर रहा है। इसके लिए पहले 4 सितंबर अंतिम तिथि थी, लेकिन कई कॉलेजों ने सत्यापन कराया ही नहीं। अब विवि ने सत्यापन की तिथि 25 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। कॉलेजों को चेतावनी दी गई है कि वे प्रत्येक दशा में निर्धारित समय सीमा से पहले शिक्षकों का सत्यापन करा लें।
एमएड कॉलेज के शिक्षकों का सत्यापन किया जा रहा है। 25 अक्टूबर इसकी अंतिम तिथि है। जिस कॉलेज में फर्जीवाड़ा मिलेगा वहां दाखिले पर रोक लगेगी। 1डॉ. प्रशांत कुमार, प्रवक्ता,
कालेज लेते हैं शार्टकट का सहारा: मानकों के अनुसार 60 छात्रों पर एक शिक्षक का होना अनिवार्य है, लेकिन मेरठ-सहारनपुर मंडल के कई कॉलेज इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं। कई कॉलेजों में दो-दो हजार छात्रों पर मात्र 10-15 शिक्षक हैं। हालांकि कॉलेजों ने विवि को जो दस्तावेज सौंपे हैं उसमें सारे मानक पूरे दिख रहे हैं। दरअसल, मानकों के अनुसार शिक्षक रखने पर कॉलेजों को उसी के अनुसार उन्हें वेतन और अन्य सुविधाएं देनी पड़ेंगी। इससे बचने के लिए कॉलेज मानक पूरा नहीं करते हैं।
दाखिले पर लगेगी रोक: सीसीएसयू ने कॉलेजों को कह दिया है कि यदि ां मानकों के अनुसार शिक्षक नहीं पाए गए तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। दाखिले पर रोक लगा दी जाएगी और छात्र आवंटित नहीं किए जाएंगे।
एकेटीयू पकड़ चुका है फर्जीवाड़ा: सीसीएसयू से पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) ने भी सूबे के इंजीनियरिंग-मैनेजमेंट कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों का भौतिक सत्यापन किया था। इसमें करीब 20 हजार फर्जी शिक्षक पकड़े गए थे।