सरकार ने प्रदेश के राजकीय विद्यालय में सहायक शिक्षक भर्ती में अब लिखित परीक्षा के अंकों की मेरिट के आधार पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसमें इंटरव्यू नहीं होगा। मार्कशीट के आधार पर मेरिट से भर्ती की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। मंगलवार की शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बैठक हुई काउंटर की बैठक में ये फैसला लिया गया है। अब 9,342 सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों पर भर्ती लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश इलाहाबाद द्वारा लिखित परीक्षा के आधार पर की जाएगी। इन खाली पदों के लिए पिछले विज्ञापन के आधार पर नौ लाख आवेदन पत्र आए हैं। सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि नई व्यवस्था के लिए यूपी अधीनस्थ शिक्षा (स्नातक ग्रेड) सेवा नियमावली -1983 में संशोधन किया जाएगा।
भर्तियों में पारदर्शिता होगी:सिद्धार्थ : कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि राजकीय विद्यालय (महिला एवं पुरुष दोनों) में रिक्त पदों पर सहायक अध्यापक भर्ती की प्रक्रिया के लिए अंक को वेटेज दिया गया था। हाईस्कूल, इंटर, स्नातक और ट्रेंड ट्रेड की मार्कशीट के आधार पर मेरिट बनती थी और उस मेरिट के आधार पर शिक्षकों का चयन किया जाता था लेकिन कैलकुलेटर की बैठक ने यह व्यवस्था खत्म कर दी है। क्योंकि इस भर्ती व्यवस्था में विस्तार नहीं था और इसकी योग्यता को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं।
काउंटर ने अब नया फैसला किया है कि राजकीय विद्यालय में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति लिखित परीक्षा के आधार पर, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग इलाहाबाद द्वारा की जाएगी। इसके लिए अर्हता ग्रेजुएट और बी.एड होगा। लिखित परीक्षा के आधार पर ही शिक्षक के पद पर चयन किया जाएगा। जबकि इससे पहले राजकीय विद्यालय में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए संभागीय संवर्ग के स्थान राज्य संवर्ग में उच्च शिक्षा निदेशक इलाहाबाद को नियुक्ति प्राचार्य बनाया गया था। हालांकि, सरकार के नए फैसले से शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ेगी और अच्छे शिक्षक आएंगे। लिखित परीक्षा से अब सहायक शिक्षक भर्ती