सूबे के प्राथमिक विद्यालयों में 68500 सहायक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की रह में अभी कई और अड़चने आ सकती है। सयाहक अध्यापक बनने की रहा देख रहे प्रदेश करीब पौने दो लाख शिक्षामित्रों ने इस भर्ती प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है। 68500 सहायक भर्ती प्रक्रिया को लेकर कोर्ट में अब तक दो याचिकाएं दाखिल हो चुकी है। सूबे के शिक्षामित्रों का कहना है कि सरकार द्वारा जो प्रक्रिया इस भर्ती में अपनाई जा रही है उससे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का लाभ शिक्षामित्रों नहीं मिलेगा। भर्ती के लिए दोहरी अर्हता परीक्षा आयोजित करने और उनको मिलने वाले वेटेज का लाभ परीक्षा की शुरआत में न देकर काउंसिलिंग के समय देने के निर्णय को याचिका में चुनौती दी गई है।
इससे पूर्व एक अन्य याचिका में शिक्षामित्रों ने अनिवार्य शिक्षा का कानून 2009 की धरा 23 (3 ) में हुए संशोधन का लाभ देने की मांग की गई। नए संशोधन के अनुसार अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए चार वर्ष की मोहलत दी जानी चाहिए। शिक्षामित्रों का कहना है कि इस संशोधन के लाभ को पाने के वो हक़दार है। शिक्षामित्रों का केस लड़ रहे अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना है कि 68500 सहायक भर्ती के लिए 9 जनवरी 2018 को जारी शासनदेश में दोहरी अर्हता राखी गई है। एक शिक्षक पात्रता परीक्षा और दूसरी सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा। इन दोनों परीक्षाओं में न्यूनतम 45 प्रतिशत या अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी 45 प्रतिशत अंक पाने के बाद ही अभ्यर्थी काउंसिलिंग के लिए अर्ह होगा। काउंसिलिंग में क्वालिटी पॉइन्ट मार्क्स भी जोड़े जायेंगे। इसके साथ ही शिक्षामित्रों को मिलने वाला वेटेज भी जोड़ा जायेगा।
शिक्षामित्रों का कहना है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा का डिफिकल्टी लेवल हाई स्कूल तक है, जबकि शिक्षक भर्ती परीक्षा में डिफिकल्टी लेवल इंटरमीडिएट कर दिया गया है। इसका आशय यह है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में तो हाई स्कूल स्तर तक के प्रश्न पूछे जायेंगे, मगर शिक्षक भर्ती परीक्षा में इंटरमीडिएट तक के प्रश्न पूछे जायेंगे। इन दोने अर्हता परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के बाद ही शिक्षामित्र वेटेज का लाभ लेने के हक़दार होंगे जबकि उनकी मांग है कि वेटेज का लाभ अर्हता परीक्षा के स्तर पर ही मिलना चाहिए