नंगे पैर स्कूल जाते वंचित परिवारों के बच्चों को जूते मुहैया कराने में जुटे राजस्थान के आइएएस अधिकारी डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी चंदा जुटाकर ‘चरण पादुका अभियान’ चला रहे हैं। बीते पांच साल में डेढ़ लाख बच्चों को जूते इसका लाभ मिल चुका है।
राजस्थान के दूरदराज ग्रामीण इलाकों में नंगे पैर स्कूल जाने वाले बच्चों की पीड़ा को समझते हुए आइएएस डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने पांच साल पहले यह पहल शुरू की थी, जो अब विस्तार पा रही है। वे दानदाताओं के सहयोग से अब तक प्रदेश के जालौर, झालावाड़, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों में इस मुहिम को गति देने में जुटे हुए हैं। इस अभियान के तहत पहले तो वे खुद अपने वेतन से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में जाकर नंगे पांव दिखने वाले बच्चों को जूते-चप्पल पहनाते थे, लेकिन बाद में उनके इस जच्बे को देखते हुए प्रदेश के कई बड़े दानदाता चरण पादुका अभियान से जुड़ते गए। अशोक गहलोत सरकार ने डॉ. सोनी के इस अभियान की जानकारी जुटाई है और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसके बारे में विस्तृत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि ऐसे निर्देश पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में भी दिए गए थे।
राजस्थान के ही श्रीगंगानगर जिला निवासी डॉ. सोनी ने पढ़ाई के दौरान अपने पिता से मिलने वाले जेबखर्च से जरूरतमंद बच्चों को जूते-चप्पल पहनाने का सेवाकार्य शुरू कर दिया था। बाद में वे जब आइएएस अधिकारी बने तो गांवों में जाकर नंगे पांव नजर आने वाले बच्चों को दुकान पर ले जाकर जूते-चप्पल पहनाने लगे। शिक्षा के लिहाज से प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार जालोर में जिला कलेक्टर बने सोनी ने नंगे पांव घूमने वाले बच्चों को दानदाताओं के सहयोग से जूते-चप्पल पहनाने का अभियान शुरू किया। इस तरह चरण पादुका अभियान अस्तित्व में आया। नंगे पैर गंदे स्थान पर चलने के कारण बच्चों को कृमि रोग का खतरा बढ़ जाता है। वहीं हीनभावना के कारण उनके मानसिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सभी सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिए कि जिन बच्चों की आर्थिक स्थिति कमजोर है और वे नंगे पांव स्कूल आते हैं उनकी पहचान कर सूची तैयार करें और कलेक्टर कार्यालय में भेजें। सूची मिलने के बाद सोनी ने जिले के दानदाताओं से संपर्क किया और उन्हे सूची के अनुरूप जूते स्कूल में भेजने के लिए तैयार किया। सोनी के साथ दानदाता अपने परिवार को लेकर स्कूलों में पहुंचे और बच्चों को जूते पहनाए।
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