सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने सोमबार को कहा कि प्राथमिक सहायक शिक्षक (कक्षा एक से आठ तक) की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा महज़ एक अर्हता (क्वालीफ़ाइंग) न है कि मेरिट का एक एकमात्र आधार है। सुप्रीम कोर्ट में सोमबार को एनसीटीई द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया कि शिक्षा के अधिनियम की धारा (23) -1 को ध्यान में रखते हुए उसने अधिसूचना जारी कर 23 अगस्त 2010 को कहा था कि टीचर कि नियुक्ति के लिए टीईटी पास होना जरुरी है। टीईटी की न्यूनतम योग्यता होने की शर्त ध्यान में रखते हुए की गई थी कि शिक्षकों की नियुक्ति का राष्ट्रीय मानक तय हो सके।
एनसीटीई के सचिव की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि टीईटी में 60% अंक लाने वाले अभियार्थी को पास माना जाता है। आरक्षण निती के तहत स्कूल प्रबधन चाहे तो अनुसूचित जाति और जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग दिव्यांग अभियार्थी को रियायत प्रदान कर सकता है। टीईटी अंक को वेटेज नियुक्ति प्रक्रिया में दिया जाना चाहिए, हांलाकि सिर्फ टीईटी पास होना भी किसी भी अभियार्थी को नियुक्ति का अधिकार नहीं देता है। टीईटी पास होने की नियुक्ति वांछनीय योग्यता में से केवल एक है।
एनसीटीई की और से पेश हुए वकील आशा नायर ने 19 मई को सुप्रीम कोर्ट में नियमवादी आदर्श कुमार गोयल और नियमार्थ यूयू ललित की पीठ के सामने कहा कि प्राथमिक सहायक शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा महज़ एक अर्हता है न तो मेरिट का आधार, जिसके बाद कोर्ट ने एनसीटीई को सोमबार तक अपना हफ़्मा दायर कर अपना पक्ष रखने को कहा