लखनऊ – सहायक अध्यापक समायोजन रद्द होने पर प्रदेश भर से आए हजारों शिक्षामित्रों ने मंगलवार को भी राजधानी में प्रदर्शन जारी रखा। शिक्षामित्रों ने सरकार के प्रस्ताव दस हजार रुपये मानदेय, शिक्षक पात्रता परीक्षा और भर्ती में अधिकतम 25 अंक तक वेटेज का भी विरोध किया है। वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता और सहायक अध्यापक समायोजन की मांग पर अड़े हैं। प्रदर्शन के दौरान शिक्षा मित्र शैलेंद्र सिंह की हालत बिगड़ गयी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके बाद शिक्षामित्रों ने शासन और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय संरक्षक शिव कुमार शुक्ला व शिक्षक उत्थान समिति के प्रदेश अध्यक्ष शिव किशोर द्विवेदी ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाएंगी तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।
बात करने से इन्कार : दोपहर में पुलिस व प्रशासन के कई अधिकारी धरना स्थल पहुंचे। उन्होंने शिक्षा मित्र से धरना समाप्त करने की मांग करते हुए अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह से मुलाकात करने का प्रस्ताव रखा लेकिन, शिक्षामित्रों ने इससे इन्कार कर दिया।
अन्न-जल त्याग देंगे : प्रांतीय संरक्षक शिव कुमार शुक्ला ने कहा कि बुधवार शाम तक अगर उनकी मांगे पूरी न की गयी तो वे सत्याग्रह छोड़कर बड़ा आंदोलन करेंगे। वे अन्न-जल छोड़कर धरना देंगे।
मंच पर भिड़ीं महिलाएं : धरना स्थल स्थित मंच पर संघ के लोग शासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। तभी किसी बात को लेकर शिक्षा मित्र सुमन और रीना आपस में भिड़ गईं। बवाल बढ़ता देख संघ के पदाधिकारियों ने सुमन के हाथ से माइक ले लिया और दोनों को शांत करा दिया।
शिक्षकों के तबादले व समायोजन पर 14 सितंबर तक रोक : प्रदेश में अध्यापक समायोजन और तबादलों पर लगी रोक फिलहाल जारी रहेगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रोक की अवधि 14 सितंबर तक बढ़ाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने अजय कुमार सिंह व चार अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने 31 जुलाई को सरकारी lawyer से विभाग से जानकारी लेकर कोर्ट को बताने को कहा था, लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गई।
जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई तक समायोजन व स्थानांतरण को लागू करने से मना कर दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा और शिवेंद्र ओझा का कहना है कि नियमों व कानून के विपरीत स्थानांतरण और समायोजन किए जा रहे हैं। नियमानुसार विज्ञान, गणित और कला विषय के अलग-अलग अध्यापक होने चाहिए। सरकार इसकी अनदेखी कर छात्र संख्या के आधार के अतिरिक्त अध्यापक समायोजन कर रही है जो कि अनिवार्य शिक्षा कानून के विपरीत है। कहा कि विषयवार अध्यापक संख्या की उपेक्षा करते हुए मनमाने तौर पर समायोजन किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।