प्रदेश भर की नियुक्तियों की जांच शुरू होते ही शिक्षकों को अपने बीते वर्षों की डिग्री की याद आ गई. चौ.चरण सिंह विविकैंपस में शिक्षक 80 के दशक की डिग्री लेने के लिए आ रहे हैं. 1990 के बादपासआउट छात्र डिग्री लेने के लिए कैंपस में सबसे आगे हैं. हालांकि, दो दशकों बाद कैंपस पहुंच रहे इन शिक्षकों को हाथोंहाथ डिग्री नहीं मिल पा रही है. काउंटर पर 1990 और इसके बाद के आवेदकों को भी 15 दिन का समय दिया जा रहा है जबकि कैंपस में डिग्री वर्षो से बनी रखी हैं. शिक्षकों को 31 जुलाई तक अपने प्रमाण पत्र निर्धारित पोर्टल पर अपलोड करने हैं. अधिकांश छात्रों ने नियुक्ति के बाद केवल प्रोविजनल सर्टिफिकेट बनाकर विभाग में जमा कर दिया. अधिकांश को अपनी डिग्री निकलवाने की जरुरत नहीं पड़ी लेकिन अब पोर्टल पर डिग्री सहित समस्त प्रमाण पत्र अपलोड करने हैं. इसी क्रम में कैंपस के छात्र सहायता केंद्र पर 1990 से लेकर बीते वर्षों के पासआउट छात्र डिग्री लेने आरहे हैं. कुछ छात्र ऐसे भी रहे जिन्होंने 1980 और 85 की डिग्री मांगी है.
कर्मचारी 15 दिन से पहले देने को तैयार नहीं
मेरठ. विवि में 2018 तक की डिग्रियां प्रिंट हो चुकी हैं. 1990 की उपाधियां तो प्रिंट होकर अलमारियों में दशकों से पड़ी हैं, लेकिन जब आवेदक इन्हें मांग रहे हैं तो विवि काउंटर के कर्मचारी 15 दिन का समय दे रहे हैं. शिक्षकों को 31 जुलाई तक प्रमाण पत्र जमा करने हैं. साफ है अंतिम तिथि के बाद का समय देकर आवेदकों पर प्रत्यक्ष से रूप से शॉर्टकट का दबाव बनाया जा रहा है. आवेदकों के अनुसार 1993 तक की डिग्री 15 दिन में देने का क्या औचित्य है. यह स्थिति तब है जब 68 हजार शिक्षक भर्ती में रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार ने छात्रों को राहत ao ER तत्काल डिग्री उपलब्ध कराई थी. प्रभारी एवं परीक्षा नियंत्रक डॉ .अश्विनी कुमार के अनुसार छात्रों की सुविधा पहले है. वे इस मामले की आज जांच करते हुए व्यवस्था बनाएंगे.