प्रयागराज : अंग्रेजी में अपना परिचय बताना नहीं आता, अंग्रेजी में भैंस यानी बफैलो तक की स्पेलिंग नहीं पता। अंग्रेजी व्याकरण भी नहीं जानते हैं, लेकिन अंग्रेजी शिक्षक बनने के लिए आवेदन कर दिया। इंटरव्यू में पता चला कि ज्यादातर शिक्षकों ने अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की ललक से नहीं बल्कि सुदूर गांव से छुटकारा पाकर शहर के पास आने की चाहत में फार्म भरा है।
जनपद में वर्ष 2018 में 126 परिषदीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील किया जा चुका है। 2019 में 134 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय अंग्रेजी माध्यम में बदले जा रहे हैं। इन विद्यालयों में 574 अंग्रेजी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए मार्च में आवेदन मांगा गया था। शर्त थी कि आवेदन करने वाले शिक्षक इंटरमीडिएट में अंग्रेजी विषय से शिक्षा हासिल की हो। 16 मई को लिखित परीक्षा संपन्न होने के बाद बुधवार से डायट के प्राचार्य कक्ष में 1782 शिक्षक- शिक्षिकाओं का साक्षात्कार शुरू हुआ है। रोज 300 अध्यापकों का इंटरव्यू ले रहे समिति के सदस्य उनके अंग्रेजी के ज्ञान का स्तर देखकर हैरान हैं। साक्षात्कार के दौरान अंग्रेजी में बेहद कमजोर साबित हो रहे शिक्षक से सवाल होता है कि आवेदन क्यूं किया जब अंग्रेजी नहीं आती है, तो ज्यादातर शिक्षक खुलकर कह रहे हैं कि कोरांव, मांडा, बरौत जैसे दूर-दराज के स्कूल से शहर के नजदीक आने के लिए। समिति की सदस्य बीईओ नगर ज्योति शुक्ला के मुताबिक, गुरुवार को भी साक्षात्कार के दौरान अधिकतर शिक्षक आसान शब्दों की स्पेलिंग भी नहीं बता सके। बमुश्किल 20 फीसदी ही शिक्षक अंग्रेजी के जानकार मिल रहे हैं।
अंग्रेजी स्कूलों में नियुक्ति के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों में ज्यादातर नहीं जानते स्पेलिंग डायट में अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक स्कूल में नियुक्ति के लिए आयोजित साक्षात्कार प्रक्रिया में शामिल शिक्षिका। ’ जागरण
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