प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद अध्यापक इन दिनों आला अफसरों के साथ ही सरकार के साथ टकराने के मूड में हैं। जिला स्तरीय आंदोलन के बाद परिषद मुख्यालय पर हुंकार भरी गई और अब राजधानी में बेमियादी धरने का एलान हुआ है। शिक्षकों के गुस्से के मूल में स्कूलों में चरणबद्ध तरीके से पद खत्म करने की आशंका मानी जा रही है। साथ ही नए नियमों व निर्देशों से भी खलबली मची है।
प्रदेश सरकार ने इसी वर्ष शिक्षा का अधिकार कानून यानि आरटीई एक्ट 2009 को मान्य किया है। उसी के अनुरूप कुछ माह पहले ही प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापकों का पद निर्धारण किया गया है। एक्ट में प्रावधान है कि प्राथमिक स्कूल में 150 व उच्च प्राथमिक स्कूलों में यदि 100 से कम छात्र संख्या है तो वहां प्रधानाध्यापक का पद नहीं होगा। बेसिक शिक्षा परिषद ने इसी के अनुरूप सभी जिलों में पद निर्धारण कर दिया है। हालांकि जिन विद्यालयों में एक्ट के अनुरूप कम छात्र संख्या रही है, वहां भले ही प्रधानाध्यापक का पद निर्धारित नहीं हुआ है लेकिन, पहले से कार्यरत को हटाया भी नहीं गया है।
विभागीय अफसर लगातार यह दावा भी कर रहे हैं कि आरटीई 2009 के तहत प्रधानाध्यापक का प्रावधान लागू नहीं होगा। यह स्कूल में प्रधानाध्यापक होगा या फिर वरिष्ठ शिक्षक को कार्यवाहक का दायित्व दिया जाएगा। परिषद की वार्षिक बैठक में तय हुआ कि एक ही परिसर में स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों का संविलियन कर दिया जाए, जहां उच्च प्राथमिक स्कूल का प्रधानाध्यापक पूरे परिसर का जिम्मेदार होगा। इसमें भी प्राथमिक के प्रधानाध्यापक को हटाए न जाने का निर्देश दिया गया है। इन आदेशों से शिक्षकों में यह भय है कि विभाग चरणबद्ध तरीके से पद खत्म करने की दिशा में बढ़ रहा है।
शिक्षकों का यह भी तर्क है कि इसीलिए कई जिलों में पदोन्नतियां नहीं हो रही है। शिक्षक इन पदों को बचाने के लिए आंदोलन की राह पकड़ रहे हैं। इसी बीच हाईकोर्ट के आदेश से भी शिक्षकों में खलबली मच गई, जिसमें कहा गया कि उच्च प्राथमिक स्कूल में प्रधानाध्यापक वही शिक्षक बन सकेगा, जो टीईटी उत्तीर्ण हो। सरकार ने अभी इस संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं किया है, फिर आशंका बनी है।