स्कूलों में तय पाठ्यक्रम पढ़ाने के बाद अक्सर उसकी परीक्षा ली जाती रही है। लेकिन, यूपी में इस बार बच्चों की परीक्षा कराकर यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर उन्हें संबंधित कक्षा के विद्यार्थी के अनुरूप क्या और कैसे पढ़ाया जाए। मसलन, परीक्षा में सामने आया कि क्लास एक के छात्र को वर्णमाला का तो ज्ञान है लेकिन, सभी बच्चे रंगों के बारे में नहीं जानते। वही क्लास 2 के छात्र दी गई संख्या को पढ़ व लिख नहीं पा रहे हैं।
दरअसल, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद उप्र ने लर्निग आउटकम का प्रयोग धरातल पर उतारा है। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों की लर्निग आउटकम के तहत परीक्षा कराई गई। परीक्षा के बाद आए आंकड़े शैक्षिक सुधार में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं, बशर्ते रिपोर्ट के अनुसार उस पर अमल किया जाए। साथ ही यह रिपोर्ट स्कूलों के पठन-पाठन के स्तर व अभिभावकों की आंखें खोलने वाली है।
बहुविकल्पीय पूछे गए थे सवाल : क्लास 1 व 2 में हिंदी, गणित, अंग्रेजी, कक्षा 3, 4 व 5 में अंग्रेजी, हिंदी, गणित, पर्यावरण अध्ययन और 6, 7 व 8 में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक विषय से संबंधित बहुविकल्पीय सवाल पूछे गए थे। यह परीक्षा फरवरी से अप्रैल के मध्य हुई थी।
क्या है लर्निग आउटकम: लर्निग आउटकम प्रयोग के जरिये शिक्षकों को सीखने-सिखाने की प्रक्रिया बताई गई, वहीं छात्रों को मिली शिक्षा को शिक्षण संबंधी परिणाम के रूप में परखा गया। कक्षा एक से आठ तक की कक्षा के लिए लर्निग आउटकम के मानक तैयार किए गए थे। पढ़ाई से बच्चे के मानसिक स्तर, सामान्य ज्ञान और शैक्षिक ज्ञान में क्या सुधार हुआ? किस कक्षा में शिक्षक बच्चों को किस तरह क्या-क्या पढ़ाएंगे और किस कक्षा में बच्चों को कितना ज्ञान होना चाहिए, यह निर्धारित किया गया।
यह होगा लाभ: स्कूलों में भेजे गए रिपोर्ट कार्ड में कक्षावार व विषयवार छात्रों के लर्निग आउटकम को प्रदर्शित किया गया है। इससे शिक्षक यह जान पाएंगे कि उन्हें किस विषय में किस लर्निग आउटकम पर ध्यान देना पड़ेगा। जहां यह बहुत कम या फिर शून्य है उसके लिए किस तरह कार्य योजना तैयार की जाए। शिक्षक खुद अपनी प्राथमिकता के अनुसार कार्य योजना बना सकेंगे।
अब विद्यालयों की होगी ग्रेडिंग: ‘लर्निग आउटकम का प्रयोग पहली बार यूपी में विद्यालयवार किया गया है, इसकी रिपोर्ट के आधार पर विद्यालयों की ग्रेडिंग करने के निर्देश भी दिए गए हैं।’ संजय सिन्हा, निदेशक एससीईआरटी उप्र
सभी नामांकित बच्चे हुए शामिल: वर्ष 2018 में कक्षा एक से पांच तक 1,18,74,001 व छह से आठ तक में 39,18,426 छात्र-छात्रएं स्कूलों में नामांकित थे। उन सब छात्र-छात्रएं को इसमें शामिल किया गया।
प्रेरणा एप से बन रहा रिपोर्ट कार्ड: परीक्षा के बाद मिले आंकड़ों की डाटा एंट्री एससीईआरटी द्वारा विकसित किया प्रेरणा एप से ब्लाक स्तर पर की जा रही है। अब तक 24 जिलों में यह कार्य पूरा करके विद्यालयवार रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया है।
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