लखनऊ : राज्य सरकार ने वित्त एवं लेखा सेवा संवर्ग के 93 पदों को खत्म कर दिया है। इनमें से 72 पद जिला ग्राम्य विकास अभिकरण (डीआरडीए) और 21 उप्र सहभागी वन प्रबंध एवं निर्धनता उन्मूलन परियोजना के थे। सरकार के इस कदम को अनावश्यक खचरें पर रोक लगाने की मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है।
डीआरडीए के कार्मिकों को ग्राम्य विकास विभाग में शामिल करने के बाद सरकार ने उसे मृत संवर्ग घोषित कर दिया था। वहीं जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन की ओर से वित्तपोषित सहकारिता वन प्रबंध एवं निर्धनता उन्मूलन परियोजना अरसा पहले ही समाप्त हो गई थी। लिहाजा सरकार इनमें वित्त एवं लेखा सेवा के पदों को समाप्त करने पर विचार कर रही थी। अब वित्त विभाग ने यह निर्णय करते हुए पदों की समाप्ति के बारे में शासनादेश जारी कर दिया है। समाप्त किए गए पदों से संबंधित वित्तीय कार्य संबंधित जिलों के मुख्य और वरिष्ठ कोषाधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर सौंपा गया है।
डीआरडीए में वित्त एवं लेखा सेवा के जिन 72 पदों को खत्म किया गया है, उनमें मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी के 12, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी के 24 व वित्त एवं लेखाधिकारी के 35 पद शामिल हैं। वित्त विभाग ने डीएआरडीए में इन पदों को प्रतिनियुक्ति का मानते हुए उन्हें वित्त एवं लेखा सेवा की जनशक्ति में शामिल किया था। इसी तरह सहभागी वन प्रबंध एवं निर्धनता उन्मूलन परियोजना के संचालन के लिए वित्त एवं लेखा सेवा के 21 पद सृजित किए गए थे। मुख्य एवं वरिष्ठ वित्त एवं लेखा अधिकारी के पद प्रमोशन और वित्त एवं लेखाधिकारी का पद सीधी भर्ती का है। इनको समाप्त करने से वित्त एवं लेखा सेवा के अधिकारियों के प्रमोशन और सीधी भर्ती के अवसर कम होंगे।
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