संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के फर्जी प्रमाण पत्र पर परिषदीय विद्यालयों में नौकरी करने वाले शिक्षकों की संख्या 37 सौ से अधिक हो सकती है. फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसआईटी के निर्देश पर विश्वविद्यालय प्रमाण पत्रों का सत्यापन करा रहा है. अब तक सत्यापन में सर्वाधिक फर्जी अंकपत्र बलिया, देवरिया, कुशीनगर, सिद्धार्थ नगर और बागपत जिलों के मिले हैं.
परिषदीय विद्यालयों की नियुक्ति में बड़ा घालमेल सामने आने की संभावना है. इसमें पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री और बीएड के फर्जी अंकपत्र व फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर 37 सौ से अधिक शिक्षक परिषदीय विद्यालयों में नौकरी कर रहे हैं. संस्कृत विश्वविद्यालय अभी तक 69 जिलों के शिक्षकों के अंकपत्रों व प्रमाण पत्रों का सत्यापन कर चुका है.
छह जनपदों के सत्यापन के लिए एसआईटी लगातार दबाव बना रही है. विश्वविद्यालय ने बाकी छह जिलों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए गोपनीय विभाग में कर्मचारियों की संख्या दुगुनी कर दी है. संभावना है कि जुलाई में बाकी छह जिलों का सत्यापन पूरा हो जाएगा. हालांकि इस मामले में अभी विश्वविद्यालय व एसआइटी दोनों खुलकर कोई बयान देने से बच रहे हैं.
जनपद में 315 शिक्षक
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अंक पत्रों व प्रमाण पत्रों पर जनपद में 315 अध्यापक परिषदीय विद्यालयों में नौकरी कर रहे हैं. बीएसए राकेश सिंह ने शिक्षकों की सूची हाल ही में एसआईटी को सौंपी थी. इसमें 25 शिक्षकों के अंकपत्र फर्जी होने की आशंका जताई जा रही. शिक्षकों के अंक पत्रों व प्रमाण पत्रों का सत्यापन कर विवि एसआईटी को रिपोर्ट सौंप चुका है.
दस वर्षों का विवरण तलब कर एसआईटी ने वर्ष 2004 से 2014 के बीच संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री पर शिक्षक बने अभ्यर्थियों का ब्योरा बेसिक शिक्षा विभाग से तलब किया है. चयनित शिक्षकों के सभी विवरण सहित तत्कालीन बीएसए का भी नाम मांगा गया है.
जांच के संबंध में समीक्षा छह को
शासन ने संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे अध्यापकों की जारी जांच के संबंध में समीक्षा बैठक छह जुलाई को बुलाई है. वीडियो कांफ्रेंसिंग में सभी जिलों के बीएसए के अलावा एसआईटी की टीम भी मौजूद रहेगी.