उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों का सुप्रीम कोर्ट ने सहायक शिक्षक पद के तौर पर किए समायोजन को निरस्त करने के फैसले को लेकर शिक्षामित्रों ने सुधारात्मक याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की पुनर्विचार याचिका गत 31 जनवरी को याचिका खारिज कर दी थी।
आपको मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के तौर पर किए गए समायोजन को निरस्त कर दिया था। उसके बाद शिक्षामित्रों और केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी । लिहाजा शिक्षामित्रों ने आखिरी कानूनी विकल्प के तौर पर सुधारात्मक याचिका दायर की है।
सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले को ठहराया था सही: हाईकोर्ट ने राज्य के लगभग 1.78 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर किया गया समायोजन 12 सिंतबर 2015 को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जुलाई, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अच्छी शिक्षा के लिए पढ़े-लिखे शिक्षकों की नितांत आवश्यक बताते हुए उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षकों के तौर पर किए समोजन को निरस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था।
हालांकि उस फैसले में शिक्षामित्रों के लिए राहत की बात यह थी कि शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर ये शिक्षामित्रों टीईटी (सहायक शिक्षक के लिए जरूरी अहर्ता) पास हैं या भविष्य में पास कर लेते हैं तो सहायक शिक्षकों के लिए होने वाली दो नियुक्ति प्रक्रिया में उन पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह चाहे तो समायोजन के पूर्व की स्थिति में शिक्षामित्रों की सेवा जारी रख सकती है।