विधि संवाददाता, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज के अध्यक्ष बीरेश कुमार को तलब किया है। उन्हें 29 दिसंबर को कोर्ट में पेश होना है। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया अवमानना केस बनता है। यदि कोर्ट आदेश का पालन हो जाता है तो विपक्षी को कोर्ट में हाजिर होने की जरूरत नहीं होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने प्रयागराज के विश्वनाथ पाल की अवमानना याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता विवेक मिश्र का कहना था कि कोर्ट ने बोर्ड की पुनरीक्षित चयन सूची के आधार पर चयनित लोगों को तीन माह में नियुक्ति देने का आदेश दिया था। इसका पालन नहीं किया गया। याची टीजीटी परीक्षा 2010 में अंग्रेजी विषय में सहायक अध्यापक के पद पर चयनित किया गया है। लेकिन, उसे नियुक्ति की अनुमति नहीं दी जा रही है। इसको लेकर अवमानना याचिका दाखिल की गई है।
महिला को कनिष्ठ अभियंता पद पर नियुक्ति देने का निर्देश : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जलकल विभाग नगर निगम वाराणसी में जूनियर इंजीनियर पद पर महिला कोटे से चयनित याची को नियुक्त कर पदभार सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा याची की संस्तुति को वापस लेने के 19 जुलाई 2017 के आदेश पर रोक लगाई और सरकार तथा चयन आयोग से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने कुमारी अंजलि सिन्हा की याचिका पर दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता मुजीब अहमद सिद्दीकी व आयोग की तरफ से अधिवक्ता कैलाश सिंह कुशवाहा ने पक्ष रखा। याची का कहना है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ की जूनियर इंजीनियर भर्ती में याची चयनित हुई। उसकी नियुक्ति की संस्तुति की गयी। लेकिन, आयोग के सचिव ने यह कहते हुए संस्तुति वापस ले ली कि वह उत्तर प्रदेश की निवासी नहीं है। याची बिहार की निवासी हैं, इसलिए महिला कोटे में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। याची का कहना है कि निवास के आधार पर आरक्षण का लाभ देने से इन्कार नहीं किया जा सकता। यह अनुच्छेद 16 के विपरीत है। कोर्ट ने कहा है कि प्रथम दृष्ट्या मामले में हस्तक्षेप का पर्याप्त आधार है, क्योंकि निवास के आधार पर किसी भी अभ्यर्थी के साथ नियुक्ति में भेदभाव नहीं किया जा सकता।