प्रदेश में चल रही शिक्षक भर्ती में हुई गड़बड़ियों की जाँच के लिए एक जाँच कमेटी बन चुकी है, दूसरी प्रस्तावित है। तीसरी जांच टीम भी शासन ने बुधवार को गठित कर दी है। बड़े अधिकारियों की जाँच में कुछ चौंकाने वाला नतीजा सामने नहीं आने की उम्मीद की जा सकती, बल्कि प्रकरण की लीपापोती होने के आसार ज़्यदा हैं। वजह यह है कि भर्ती के मामलों को लेकर चारों पहले से अभ्यर्थियों के निशाने पर रहे हैं।
परिषदीय स्कूलों की सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा दो ऐसे अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी है। दैनिक जागरण द्वारा ये घुलासा करते ही अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डा. प्रभात कुमार ने चार अफसरों की जांच टीम गठित की है। इनमें बेसिक शिक्षा सचिव मनीषा त्रिघाटिया, बेसिक शिक्षा निदेशक डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह, एससीईआरटी निदेशक संजय सिन्हा और परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डा. सुत्ता सिंह शामिल हैं।
समिति शिकायतों के निस्तारण के साथ ही भविष्य में इस तरह की कोई गड़बड़ी न होने पाए, इसके लिए सरकार को सुझाव भी देगी यह अपेक्षा भी की गई है। खास बात यह है कि का शासनादेश जारी होने से लेकर चयनितों को नियुक्ति पत्र देने तक में इन्हीं अफसरों पर अलग वजहों से अंगुली उठती रही है। सूत्रों की माने तो , जांच समिति में शामिल एक अफसर के निर्देश पर चयन सूची का मानक 68500 से घटाकर 41556 किया गया। दूसरे अफसर के लिए कहा जा रहा है कि ढिलाई के कारण तय समय पर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं बांटे जा सके।