सीतापुर : गांव के सामुदायिक विकास केंद्र भवन पर विद्यालय का बोर्ड टांगकर मान्यता लेने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। बीईओ परसेंडी ने गुरु गो¨वद सिंह विद्या मंदिर सरकारी जमीन व भवन में संचालित होने की रिपोर्ट बीएसए को दी थी। रिपोर्ट के आधार पर बीएसए ने विद्यालय के प्रबंधक को नोटिस दिया है। जिसमें कूटरचना कर विद्यालय की मान्यता हासिल करने का जिक्र करते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है। स्पष्टीकरण न मिलने पर विद्यालय की मान्यता समाप्त की जाने की कार्रवाई की जाएगी।
खंड शिक्षा अधिकारी परसेंडी बलदेव प्रसाद यादव ने रिखौना गांव में स्थित गुरु गो¨वद सिंह विद्या मंदिर की रिपोर्ट 12 मई को बीएसए को दी थी। जिसमें विद्यालय ग्राम सभा की जमीन पर बने सरकारी भवन में विद्यालय संचालन किए जाने का जिक्र किया गया था। इसी रिपोर्ट के आधार पर बीएसए पन्ना राम ने विद्यालय के प्रबंधक को नोटिस देकर तीन दिनों में स्पष्टीकरण मांगा है।
नोटिस में बीएसए ने एसडीएम द्वारा 09 मई को कई गई जांच में यह पाया था विद्यालय के पास कोई भूमि ही नहीं है। जिससे प्रतीत होता है कि विद्यालय की मान्यता किसी षड़यंत्र के तहत हासिल की गई है। यह कृत्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के विरुद्ध है। नोटिस का जवाब न मिलने पर विद्यालय की मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई विभाग कर सकता है।
ऐसे किया गया था पूरा खेल : परसेंडी ब्लॉक के रिखौना गांव में वर्ष 1988 में ग्राम समाज की जमीन पर सामुदायिक विकास केंद्र भवन का निर्माण हुआ था। इस भवन पर गुरु गो¨वद सिंह विद्या मंदिर का बोर्ड टांगकर वर्ष 1992 में चकबंदी अधिकारी से ग्राम समाज की जमीन विद्यालय संस्था के नाम दर्ज कराई गई थी। वर्ष 1997 में इसी भवन को विद्यालय की प्राथमिक स्तर की अस्थाई मान्यता लेकर सांसद निधि से एक लाख रुपये अनुदान भी लिया गया था।
वर्ष 1998 में असेवित योजना के तहत कन्या हाईस्कूल खोलने के लिए योजना में चयन कराकर अनुदान की पहली किस्त का दस लाख भी ले लिया। वर्ष 2001 में तत्कालीन बीएसए की रिपोर्ट पर उप शिक्षा निदेशक बेसिक षष्ठ मंडल लखनऊ से जूनियर स्तर की मान्यता ले ली और विधायक निधि से एक लाख अनुदान के रूप में ले लिए।
वर्ष 2002 में ग्राम सभा की जमीन और सरकारी भवन को विद्यालय दर्शाते हुए गुरु गो¨वद सिंह विद्या मंदिर बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रिखौना नाम से माध्यमिक स्तर की मान्यता ले ली। 10 फरवरी 2009 को सहायक बंदोबश्त अधिकारी चकबंदी ने चकबंदी अधिकारी का फर्जी आदेश खारिज करते हुए इसे ग्राम समाज की जमीन करार दिया था। शासन ने बीते साल माध्यमिक स्तर की मान्यता समाप्त करते हुए अनुदान में दी गई धनराशि की रिकवरी के आदेश दिए थे।