स्कूल प्रमुख केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) व शिक्षा निदेशालय के अभ्यास वाले प्रश्नपत्रों की प्रिंटेट कॉपी बच्चों को उपलब्ध कराएंगे। जिससे छात्र-छात्राएं बोर्ड व स्कूल की वार्षिक परीक्षाओं में बेहतर परिणाम ला सकें। वहीं, सभी शिक्षक बच्चों पर व्यक्गित रूप से ध्यान देंगे। यही नहीं, यदि स्कूल प्रमुख को लगता है कि बच्चों को बाहर से किसी शिक्षक की जरूरत है तो वह स्कूल प्रबंध समिति (एसएमसी) का बजट खर्च कर सकेंगे। कोविड के बाद खुल रहे स्कूल, बच्चों की वार्षिक और बोर्ड परीक्षाओं तो देखते हुए शनिवार को स्कूलों प्रमुखों के साथ बैठक में यह फैसला लिया गया है। बैठक में स्कूलों से किसी कारण दूर हुए बच्चों को वापस लाने पर भी जोर दिया गया है।
बैठक में शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता, शिक्षा सलाहकार शैलेंद्र शर्मा एवं अतिरिक्त निदेशक (स्कूल) रीता शर्मा के अलावा सभी विद्यालयों के प्रमुख मौजूद रहे। सभी ने सोमवार से नर्सरी से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने की तैयारी पर चर्चा की। इसमें तय हुआ है कि रोजाना पढ़ाई शुरू करने से पहले माइंड फुलनेस की कक्षाएं भी लगेंगी।
सीबीएसई बोर्ड की कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं भी होनी है। बैठक में इस पर भी चर्चा की गई। स्कूल प्रमुखों से कहा गया है कि वह कक्षाओं के साथ प्रयोगात्मक कार्य पर ध्यान दें। लंबे समय तक ऑनलाइन कक्षाओं के बाद ऑफलाइन मोड में आने के बाद यह जरूरी है कि बच्चों की प्रैक्टिकल क्लास पर भी फोकस किया जाए। इसके अलावा स्कूल प्रमुख रोज शिक्षकों के साथ बच्चों की तैयारी पर समीक्षा करें। बच्चों को ऑफलाइन मोड में अभ्यास के लिए सिर्फ प्रश्नपत्र का लिंक बताने के बजाय उसका प्रिंट निकालकर दें। इसके अलाला रेमिडियल कक्षाओं से पढ़ाई में नुकसान की भरपाई की जाए।
हैप्पीनेस क्लास के साथ नर्सरी से 8वीं तक की पढ़ाई शुरू होगी
दिल्ली में सोमवार से नर्सरी से आठवीं तक की कक्षाएं भी खुल जाएंगी। बैठक में स्कूल प्रमुखों को कहा गया है कि बच्चों की पढ़ाई हैप्पीनेस व माइंडफुलनेस क्लास के साथ शुरू किया जाए। इनकी मदद से बच्चों को तनाव और भय से निकालकर पढ़ाई से जोड़ने में आसानी होगी। बच्चों के पढ़ने व गणित संबंधी बुनियादी कौशल में आए लर्निंग-गैप को पहचानकर मिशन बुनियाद की गतिविधियों की मदद उसे खत्म किया जाएगा। कोरोना के कारण स्कूल बंद होने से बच्चे किन परिस्थितियों से गुजरे, उन अनुभवों को साझा करने मौका भी बच्चों को दिया जाएगा। उन्हें पूरा समय दिया जाएगा, ताकि वह लंबे समय बाद स्कूल आएं तो बेहतर माहौल मिल सके।
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