परिषदीय स्कूलों में सुबह की प्रार्थना की फोटो खींचकर भेजने का आदेश है। शिक्षकों के अवकाश का आवेदन और स्कूलों में बच्चों की हाजिरी इधर एक साल से मोबाइल पर ही दी जा रही है। अभी कुछ दिन पहले शिक्षा निदेशक बेसिक ने कक्षा चार से आठ तक की किताबें इंटरनेट पर उपलब्ध होने की जानकारी देकर यह संकेत दिया है शिक्षक उसका उपयोग कर सकते हैं। ऐसे ही आये दिन नए-नए नियम शिक्षकों पर थोपे जा रहे हैं। मानो बुनियादी शिक्षा ऑनलाइन हो गया है। वहीं, महकमे ने एक भी शिक्षक को सिम या मोबाइल उपलब्ध कराना छोड़िए उन्हें स्मार्ट मोबाइल चलाने का प्रशिक्षण तक नहीं दिया है।
प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की जुबां पर यह बात यूं ही नहीं आ रही है, बल्कि अन्य विभागों को देखकर शिक्षक अपने विभागीय अफसरों को कोस रहे हैं। दरअसल, पुलिस विभाग हो या फिर प्रशासन जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक से लेकर हर शख्स को सीयूजी नंबर मुहैया कराया गया है। विभागीय अफसर उसी के जरिए बातचीत करते हैं। पिछले साल यूपी बोर्ड ने अनुपस्थित परीक्षार्थियों की संख्या ऑनलाइन जानने के लिए परीक्षा मोबाइल एप का प्रयोग किया था। इसके लिए प्रदेश भर के हर केंद्र प्रभारी को यूपी बोर्ड ने मोबाइल सिम मुहैया कराया था और उसका प्रशिक्षण भी मुख्यालय पर दिया गया। यह अलग बात है कि परीक्षा मोबाइल एप योजना सिम का नेटवर्क न होने की वजह से फ्लॉप हो गई, लेकिन यूपी बोर्ड ने संसाधन व प्रशिक्षण देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
इसके उलट परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को विभाग ने स्मार्ट मोबाइल व सिम तक नहीं दिया है। यही नहीं तमाम पुराने शिक्षक ऐसे भी हैं जिनके पास मोबाइल तो है, लेकिन वह स्मार्ट नहीं है। यदि वह स्मार्ट मोबाइल खरीद भी लें तो उसे चलाने में वह असमर्थ हैं। ऐसे शिक्षकों को विभाग ने मोबाइल व सिम देना दूर, प्रशिक्षण तक देने का इंतजाम नहीं किया है और उनसे अपेक्षा सारी सूचनाएं ऑनलाइन भेजने की हो रही है। इससे शिक्षक खासे परेशान हैं।बेसिक शिक्षा विभाग का हाल
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