नए शैक्षिक सत्र 2020-21 में उत्तर प्रदेश में राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा (स्लेट) के आयोजन की तैयारी की जा रही है। स्लेट के लिए गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट को जल्द लागू किया जाएगा। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री नीलिमा कटियार ने बताया कि अगले सत्र से यूपी स्लेट को आयोजित करने को लेकर कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने के बारे में गंभीरता से मंथन किया जा रहा है। बीते एक साल से कमेटी की रिपोर्ट लागू न हो पाने में क्या अड़चन है, उसका भी पता लगाकर उसे दूर किया जाएगा। मालूम हो कि यूपी में स्लेट का आयोजन वर्ष 1992 में हुए था। उसके बाद दोबारा यह आयोजित नहीं हो पाई।
यूपी के विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों के अभी करीब 30 फीसद पद खाली चल रहे हैं। इसके लिए अभी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास अभ्यर्थी या फिर जिन्होंने वर्ष 2009 से पहले पीएचडी की है, वह आवेदन कर सकते हैं। कई राज्य अपने यहां नेट की तर्ज पर स्लेट आयोजित करते हैं। यूपी में भी वर्ष 1992 में स्लेट का आयोजन किया गया था। पीएचडी की जगह नेट की अनिवार्यता करने के चलते और वर्ष 2009 से पहले के पीएचडी विद्यार्थी कम मिलने के कारण विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भर्ती मुश्किल हो रही है। इसे देखते हुए ही वर्ष 2017 में लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. एसपी सिंह की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था, इसमें बप्पा श्री नारायण वोकेशनल पीजी कॉलेज (केकेवी) के प्राचार्य डॉ. राकेश चंद्रा को सदस्य सचिव बनाया गया था। कमेटी ने करीब एक वर्ष पहले अपनी रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग को यूपी स्लेट आयोजित करने की संस्तुति के साथ सौंप दी थी, मगर अभी तक इसे लागू नहीं किया गया। उच्च शिक्षा विभाग ने रिपोर्ट मिलने के बाद कमेटी से सवाल पूछा कि विषयवार कितने विद्यार्थी यूजीसी नेट पास कर चुके हैं, उसका ब्योरा उपलब्ध करवाएं। इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना कमेटी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है, क्योंकि ऐसा ब्योरा सिर्फ यूजीसी ही दे सकता है।
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