हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में कथित धांधली की सीबीआई से जांच कराए जाने के आग्रह वाली जनहित याचिका संबंधित विवरण के अभाव में खारिज कर दी. न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनाया.
याची ने भर्ती परीक्षा में कथित शिक्षा माफिया गैंग, छद्म परीक्षार्थी, सॉल्वर गैंग समेत पर्दे के पीछे से भ्रष्टाचार का खेल खेलने वाले सरकारी कर्मियों की भूमिका उजागर करने के लिए सीबीआई से इसकी जांच कराने के निर्देश सरकार को दिए जाने की गुजारिश की थी. याची का आरोप था कि शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर वसूली कर घोटाले को अंजाम दिया गया है.
राज्य सरकार की ओर से याचिका का विरोध करते हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने दलील दी कि यह घटना प्रयागराज में हुई और वहीं एसटीएफ ने संबंधित लोगों को गिरफ्तार किया. ऐसे में याची इसे लेकर प्रयागराज में एसटीएफ को अर्जी दे सकता था. मामले की तफ्तीश चल रही है और कई लोग गिरफ्तार हुए हैं.
लिहाजा यह याचिका ‘ प्रीमेच्योर’ है. यह सुनवाई किए जाने लायक नहीं और खारिज किए जाने योग्य है. इस पर कोर्ट ने याचिका को ग्रहण करने से इनकार करते हुए याची को इसे वापस लेने और बेहतर ब्योरे के साथ नई याचिका दाखिल करने की छूट भी दी है.