नई दिल्ली : राज्यसभा में सरकारी कर्मचारियों के साथ प्राइमरी से लेकर डिग्री कॉलेज के अध्यापकों तक की पुरानी पेंशन प्रणाली को बहाल करने का मुद्दा मंगलवार को उठा। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए नई पेंशन स्कीम में पारदर्शिता के अभाव पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षक हड़ताल पर थे। इनमें सरकारी कर्मचारी, विद्यालय, महाविद्यालय, सहायता प्राप्त कॉलेजों और महाविद्यालयों के अध्यापक शामिल थे। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को 2005 में बदल दिया गया। नई पेंशन योजना में कर्मचारी के वेतन का 10 फीसद काटकर पेंशन स्कीम में डाल दिया जाता है। इसकी गवर्निग एजेंसी भारतीय स्टेट बैंक, यूटीआइ और एलआइसी हैं। यादव ने चिंता जताते हुए कहा कि नया सिस्टम लागू होने के बाद कर्मचारियों को पता ही नहीं चल पा रहा है कि उनका पैसा कहां जा रहा है? कहां निवेश किया जा रहा है?
यादव ने कहा, ‘दरअसल यह सारा धन 169 निजी कंपनियों में जमा किया गया है, जो दिवालिया होने के कगार पर हैं। ये कंपनियां दिवालिया हो गईं तो इन कर्मचारियों की पेंशन का क्या होगा?’ सपा नेता ने सरकार से पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की मांग की। उत्तर प्रदेश में सारे अध्यापक उद्वेलित हैं। उनकी आशंका निमरूल नहीं है। सरकार सिस्टम ठीक करके प्रॉविडेंट फंड की तर्ज पर कर्मचारियों को उनकी पेंशन की राशि की रसीद और पासबुक जारी करे।
सपा नेता रामगोपाल यादव। प्रेट्र
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