लखनऊ : प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में राज्य सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर लिखित परीक्षा के बाद उत्तीर्ण प्रतिशत तय करने के निर्णय को सही बताया है। सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उसकी मंशा है कि अच्छे अभ्यर्थियों का चयन हो। 25 जुलाई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने करीब एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों की सहायक शिक्षकों के रूप में नियुक्ति को रद करते हुए उन्हें दो बार भर्ती में वरीयता देने की जो बात कही है उसका तात्पर्य यह नहीं है कि मेरिट से समझौता किया जाए।
यह भी कहा गया कि सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पूर्व में हुई परीक्षा में एक लाख सात सौ अभ्यर्थी शामिल हुए थे, जबकि इस बार छह जनवरी, 2019 को हुई परीक्षा में चार लाख दस हजार अभ्यर्थी शामिल हुए। अभ्यर्थियों की संख्या अधिक होने के कारण उत्तीर्ण प्रतिशत तय करना आवश्यक हो गया था। सरकार ने जवाब दाखिल कर कोर्ट के 17 जनवरी को दिए यथास्थिति के आदेश को खारिज करने की मांग की है। कोर्ट ने सरकार के जवाब को रिकार्ड पर लेकर मामले की सुनवाई बुधवार को जारी रखने का आदेश दिया है। इस बीच कोर्ट ने अंतरिम आदेश भी बढ़ा दिया है।
यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने मो. रिजवान आदि की याचिकाओं पर दिया। कोर्ट ने याचियों की ओर से सरकार के जवाब के विरुद्ध दाखिल प्रतिउत्तर शपथपत्र को भी रिकार्ड पर लिया। दरअसल, सरकार ने एक दिसंबर, 2018 को 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रकिया शुरू की थी। इसके लिए छह जनवरी, 2019 को लिखित परीक्षा हुई।
सात जनवरी को सरकार ने सामान्य अभ्यर्थियों के लिए 65 प्रतिशत व ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत उत्तीण प्रतिशत तय कर दिये। इसे कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट के 17 जनवरी के आदेश से परीक्षा परिणाम अधर मे लटक गया है।
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