कुपोषण से लड़ने के लिए स्कूली बच्चों को नाश्ते में बाजरे की खिचड़ी, दलिया, सत्तू का लड्डू देकर दमदार बनाया जाएगा। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) ने नौनिहालों में कुपोषण की नाजुक स्थिति के मद्देनजर यह बीड़ा उठाया है। सीएसआइआर का मानना है कि स्कूली बच्चों को मिड डे मील दिए जाने के बावजूद कुपोषण की स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं आ रहा है। कारण यह है कि रात के भोजन के बाद एक लंबा अंतराल हो जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार बच्चों को सुबह का पौष्टिक नाश्ता देकर कुपोषण से दो-दो हाथ किए जा सकते हैं।
सीएसआइआर ने न्यूट्रा मिशन प्रोग्राम के तहत जिम्मेदारी केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा अनुसंधान संस्थान (सीमैप) के साथ-साथ पालमपुर के आइएचबीटी, मैसूर स्थित सीएफटीआरआइ व त्रिवेंद्रम स्थित एनआइआइएसआइ को सौंपी है। सीमैप को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान व छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. दिनेश कुमार बताते हैं कि प्रोजेक्ट के तहत बच्चों के नाश्ते के लिए सभी प्रयोगशालाओं द्वारा दस तरह की रेडी टू ईट (आरटीइ) रेसिपी तैयार की जा रही हैं। सीमैप ने बाजरे की खिचड़ी, सत्तू का लड्डू व नमकीन दलिया की रेसिपी तैयार की है। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश के एक-एक प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को नाश्ता उपलब्ध कराया जाएगा। मार्च 2020 तक चलने वाले पायलट प्रोजेक्ट में हर तीन-तीन माह पर बच्चों का फीडबैक लिया जाएगा। बच्चों की पसंद-नापसंद का समावेश करते हुए रेसिपी को अंतिम रूप दिया जाएगा। डॉ. कुमार ने बताया कि वैज्ञानिक तरीके से तैयार रेसिपी में स्थानीय पेड़-पौधों को शामिल कर पौष्टिकता बढ़ाई जाएगी।
चारों राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं द्वारा तैयार की गई रेसिपी को देश के अलग-अलग राज्यों में बच्चों को दिया जाएगा। अंत में बच्चों के पसंदीदा सात आरटीइ नाश्ते का चयन कर सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उत्तर प्रदेश के लखनऊ के बक्शी का तालाब के पारा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय, बिहार में पटना गरधनीबाग स्थित कौशल नगर के प्राथमिक विद्यालय, मध्यप्रदेश में पंचायत बैरासिया के शालाग्रम हर्राखेड़ा प्राथमिक विद्यालय से इसकी प्रायोगिक शुरुआत की जाएगी।
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