प्राथमिक शिक्षा में ऊंची उड़ान के दावों की जमीन बेहद खोखली है। लखनऊ मंडल के 62 फीसद परिषदीय विद्यालयों में बिजली और पंखे ही नहीं हैं। 20 प्रतिशत में पेयजल नहीं तो 15 फीसद स्कूलों में बच्चे बिना ब्लैकबोर्ड के पढ़ने को मजबूर हैं। गुरुवार को इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में मिशन प्रेरणा के अंतर्गत आयोजित मंडलीय संगोष्ठी में यही हकीकत सामने आई। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने भी इस स्थिति पर नाराजगी जताई। अफसरों के पेच कसे।
संगोष्ठी में लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, हरदोई और लखीमपुर खीरी के सीडीओ, प्राचार्य डायट, एडी बेसिक, बीएसए व अन्य अधिकारी मौजूद रहे। महानिदेशक ने सभी जिलों के सीडीओ, एडी बेसिक, बीएसए को निर्देश दिए कि अपने यहां के जिलाधिकारी के साथ मिलकर मिशन ऑपरेशन कायाकल्प के तहत विद्यालयों में तत्काल यह मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार और शासन की पहली प्राथमिकता शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों का विकास है। यह तभी संभव है, जब शिक्षा विभाग से लेकर जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस दिशा में काम करेंगे। संगोष्ठी में आए सीडीओ ने अपने-अपने जिलों में परिषदीय विद्यालयों और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए किए गए कार्यो का प्रजेंटेशन दिया। सीडीओ हरदोई और लखीमपुर खीरी के प्रयासों व कार्यो को मॉडल के तौर पर रखा। सीडीओ रायबरेली, सीतापुर, लखनऊ और उन्नाव के भी कार्यो की सराहना हुई। इस अवसर पर सभी सीडीओ को सम्मानित किया गया।
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित मंडलीय गोष्ठी में उपस्थित विभिन्न जिलों से आए अधिकारी ’ जागरण
जिले हैं लखनऊ मंडल में
प्रतिशत स्कूलों में नहीं हैंडवॉशिंग मशीन
फीसद विद्यालय ब्लैक बोर्ड से महरूम
खंड शिक्षाधिकारी और बीडीओ के रिश्तों में खटास क्यों एक-दूसरे से मिलाएं हाथ
गोष्ठी के दौरान महानिदेशक शिक्षा ने कहा कि हमारे यहां खंड शिक्षाधिकारियोंऔर बीडीओ के रिश्तों में खटास क्यों है। वह आपस में न तो बात करते हैं न ही साथ बैठते हैं। उन्हें चाहिए कि वह साथ मिलकर काम करें। आखिर क्या कारण है कि दोनों के रिश्ते नहीं बनते हैं। मैं चाहता हूं कि यहां पर जो भी खंड शिक्षाधिकारी हैं, वह तुरंत अपनी सीट से उठें और बीडीओ से जाकर हाथ मिलाएं आज से ही अपने रिश्ते सुधारें। फिर क्या था खंड शिक्षाधिकारी अपनी सीट से उठे और पूरे ऑडिटोरियम में घूम-घूमकर हाथ मिलाना शुरू कर दिया।
कार्यक्रम में महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ’ जागरण
एआरपी को प्रोत्साहन राशि के भुगतान के लिए न लगाना पड़े चक्कर
एकेडमिक र्सिोस पर्सन (एआरपी) को मिशन प्रेरणा लक्ष्य की जिम्मेदारी दी गई है। वह सुपरविजन करने के साथ ही स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी देंगे। उन्हें एक माह में 30 और एक दिन में अधिकतम दो विद्यालयों में जाकर मिशन प्रेरणा पर काम करना है। इसके लिए उन्हें जो प्रोत्साहन राशि मिलनी है, उसके लिए उन्हें दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें। नियमत: तत्काल उसका भुगतान हो।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने कहा कि खंड शिक्षाधिकारी व अन्य शिक्षाधिकारी, परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की ऑनलाइन मानव संपदा पोर्टल पर सीसीएल, मेडिकल लीव, सीएल की संस्तुति करेंगे। पोर्टल पर ही शिक्षक छुट्टियों का आवेदन करेंगे। कई जगहों पर मैनुअल छुट्टियां दी जा रही हैं। यह कतई गलत है। इसके अलावा मेडिकल लीव व अन्य मदों में भुगतान के दौरान अगर शिक्षकों के साथ किसी भी प्रकार का आर्थिक शोषण हुआ तो संबंधित अधिकारी और उनके दफ्तर के कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। महानिदेशक शिक्षा ने सभी जिलाधिकारियों और सीडीओ से भी कहा कि अगर इस तरह की उन्हें कोई जानकारी मिले तो तत्काल उन्हें सूचित करें। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
शिक्षकों से हुआ आर्थिक भ्रष्टाचार तो नपेंगे अधिकारी और कर्मचारी