बरेली. कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में तैनात चार शिक्षिकाएं जांच में अपने नियुक्ति पत्र नहीं दिखा सकी हैं. इन चारों का कहना है कि उनकी नियुक्ति एक एनजीओ के माध्यम से हुई थी. हकीकत जानने के लिए जब बेसिक शिक्षा विभाग ने एनजीओ को नोटिस जारी किया तो पता फर्जी निकला. इन चारों शिक्षिकाओं की सेवा समाप्त करने की तैयारी चल रही है. चारों शिक्षिकाएं 2011 से बरेली में नौकरी कर रही हैं. एनजीओ का पता फर्जी मिलने के बाद बीएसए ने रिपोर्ट शासन को भेज दी है. शिक्षिकाओं की सेवा समाप्ति का प्रकरण समिति के समक्ष रखा जा रहा है.
अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद पूरे प्रदेश में कस्तूरबा स्कूलों के स्टाफ की जांच शुरू हो गई थी. बरेली में भी जांच के दौरान चार ऐसी शिक्षिकाएं सामने आई हैं. जिनके पास नियुक्ति पत्र ही नहीं है. सत्यापन के दौरान इन्होंने बताया कि उनकी नियुक्ति एनजीओ ने की थी. इसका इन चारों ने आदेश भी दिखाया था. बीएसए ने पुष्टि के लिए एटा के एनजीओ आदर्श ग्रामोद्योग संस्थान को पत्र भेजा. यह नोटिस लौटकर विभाग के पास आ गया है. लिखे गए पते पर एनजीओ का आफिस मिला ही नहीं. एनजीओ के स्तर पर भी फर्जीबाड़ा उजागर होने से खलबली मची है. बीएसए ने लखनऊ में उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना दे दी है. बीएसए विनय कुमार ने बताया कि नियुक्ति पत्र नहीं दिखा सकने वाली चारों शिक्षिकाओं की सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं. लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय समिति को ही लेना है. इसलिए इस प्रकरण को समिति के सामने रखा जा रहा है.
दिए गए पते पर एनजीओ का कार्यालय नहीं मिला है. इस बारे में शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है. नियुक्ति पत्र नहीं दिखा सकने वाली शिक्षिकाओं की सेवा समाप्ति का प्रकरण समिति के सामने रखा जाएगा. यह भी संभव है कि एनजीओ ने पता बदल लिया हो, इसकी जांच लखनऊ स्तर से होनी है. – विनय कुमार, बीएसए.