गार्डनिंग या बागवानी करियर का बेहतर विकल्प बन सकती है. हॉर्टिकल्चर के तहत फल-सब्जियों को उगाने से लेकर लैंडस्केपिंग तक कई तरह के पाठ्यक्रम शामिल होते हैं. इसके कुछ अच्छे संस्थानों की जानकारी दे रहे हैं –
कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर और कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री
एशिया में अपनी तरह का अकेला विश्वविद्यालय है डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, जहां हॉर्टिकल्चर और फॉरेस्ट्री की स्नातक से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई होती है. हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित यूनिवर्सिटी के कैंपस में कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर और कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री हैं. यूं तो इस यूनिवर्सिटी की स्थापना पहली दिसम्बर 1985 को हुई, लेकिन यह है काफी पुरानी.
कोर्स : कॉलेज में बीएससी ऑनर्स, एमएससी, एमबीए और पीएचडी की पढ़ाई की व्यवस्था है. यूनिवर्सिटी के तमाम कैंपसों में चार वर्षीय बीएससी ऑनर्स की पढ़ाई होती है, जिसमें सीटों की संख्या 550 है. दो वर्षीय एमएससी में 8 विषयों में विशेषज्ञता प्रदान की जाती है. ये विशेषज्ञता फ्रूट साइंस, वेजिटेबल साइंस, फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, प्लांट पैथोलॉजी, एंटोमोलॉजी, बायो टेक्नोलॉजी, सीड साइंस एंड टेक्नोलॉजी और फ्लोरिकल्चर एंड लैंडस्केप आर्किटेक्चर में प्रदान की जाती है. इनमें सीटों की कुल संख्या 218 है. यहां दो तरह के एमबीए की पढ़ाई होती है-एक सामान्य एमबीए और दूसरा एग्रीबिजनेस में एमबीए. इनमें 37 छात्रों को प्रवेश मिल पाता है. एमएससी में जिन विषयों में विशेषज्ञता प्रदान की जाती है, उनमें से सीड साइंस एंड टेक्नोलॉजी को छोड़कर बाकी 7 विषयों में पीएचडी की पढ़ाई की व्यवस्था है. पीएचडी में 84 छात्रों के प्रवेश की व्यवस्था है. इस संख्या में कुछ सीटें घट-बढ़ सकती हैं.
कैंपस : हरे-भरे कैंपस में तमाम आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित क्लास रूम, सेंट्रल लाइब्रेरी और लैब हैं. ट्री ब्रीडिंग लैब, कंप्यूटर लैब, स्वायल फिजिक्स एंड वाटर मैनेजमेंट लैब समेत 39 लैब हैं, जिनमें आधुनिक इक्विपमेंट्स हैं. इनके अलावा प्रदेश के हमीरपुर और मंडी में भी सेंटर हैं.
पता : कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर, डॉ. वाई एस. परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, नौनी, सोलन, हिमाचल प्रदेश-173230,
वेबसाइट: www.yspuniversity.ac.in
कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर, आनन्द, गुजरात
देश के जाने-माने विश्वविद्यालयों की लिस्ट में प्रमुखता से शामिल है आनन्द एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी. इसके एक विभाग के रूप में लोकप्रिय है कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर. कभी गुजरात एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के आनन्द कैंपस के रूप में लोकप्रिय यह कैंपस आनन्द एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के रूप में भी खूब लोकप्रिय हो चुकी है. तब उस कैंपस को खेतीबाड़ी कैंपस के रूप में जाना जाता था. 1938 में स्थापित इस कैंपस का नाम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर था. वह 1972 में गुजरात एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी का हिस्सा बना था. वर्ष 2004 में आनन्द एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी अस्तित्व में आया. इसके तहत हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई के लिए कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर की स्थापना की गई. संस्थान द्वारा संचालित अंडरग्रेजुट प्रोग्राम के तहत सीटों की संख्या 77 रखी गई है.
कैंपस : इस हरे-भरे कॉलेज कैंपस में आठ डिपार्टमेंट हैं, जो आधुनिक डिजिटल क्लास रूम और लैब और सेंट्रल लाइब्रेरी और लैब हैं. ट्री ब्रीडिंग लैब, कंप्यूटर लैब आदि प्रमुख हैं, जिनमें आधुनिक इक्विपमेंट्स हैं. कैंपस में अनेक हॉस्टल भी हैं. पता : कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर, आनन्द एग्रीकल्चरल यूनिवसिटी, आनन्द-388110 वेबसाइट- http://www.aau.in/college-menu/4844