इलाहाबाद राजकीय माध्यमिक कालेजों में एलटी ग्रेड शिक्षक चयन में फर्जी ग्रेड के बने-बनेकर मामले सामने आ रहे हैं। इलाहाबाद के संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय से 2012 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की पूरी फाइल ही गायब है। संबंधित लिपिकों के पत्रवली प्रस्तुत न करने पर एक लिपिक को निलंबित किया गया है, जबकि दो अन्य पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र प्रेषित किया गया है। फाइल न मिलने पर इन लिपिकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी है। राजकीय कालेजों में एलटी ग्रेड शिक्षक 2010 और 2012 में नियुक्तियां हुईं। इनमें से 2012 में लगभग 800 व 2010 में लगभग 400 नियुक्तियां सिर्फ इलाहाबाद मंडल में ही हुई थीं। अल्लाहाबाद संयुक्ता शिक्षा निदशक का कार्यभार ग्रहण करने के बाद ज़ी माया निरंजन ने दोनों पत्रवालियों तबल की। उसी समय भर्ती से संबंधित एक लिपिक राम किंकर का तबादला जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में हो गया, जबकि दो अन्य लिपिक सोनू कनौजिया आदि फाइल प्रस्तुत करने में विलंब करने लगे। ज़ी ने तीनों लिपिकों को जब तलब किया तो सोनू कनौजिया बिना अवकाश के गायब हो गए। इस मामले को शुद्धता से लेकर उन्होंने लिपिक को निलंबित कर दिया। साथ ही डीआईओएस कार्यालय में तैनात रामकिंकर को नोटिस जारी करके उनका वेतन रोक दिया गया। इसी तरह से 2010 की नियुक्ति की फाइल भी प्रस्तुत नहीं की जा रही है।
जेडी का कहना है कि यदि यह फाइल जल्द न मिली तो संबंधित लिपिकों पर कड़ी कार्रवाई होना तय है। जेडी ने यह भी कहा कि नियुक्तियों में गड़बड़ियां हुई या नहीं, अभी यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन फाइल गुम होना ही नियुक्तियों में कुछ गलत होने का संकेत जरूर दे रहा है। उन्होंने बताया कि इस सप्ताह फाइल न मिलने पर संबंधित लिपिकों पर एफआइआर दर्ज कराई जाएगी और उनके निलंबन की फाइल अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक व शासन को भेज दी गई है। उन्होंने बताया कि इसके पहले भी दो लिपिकों के निलंबन की फाइल पूर्व शिक्षा निदेशक माध्यमिक को भेजी थी, लेकिन उन्होंने उस पर कोई टिप्पणी न करते हुए पत्रवली वापस कर दिया था।
बिना सत्यापन के वेतन भुगतान : 2010 में इलाहाबाद मंडल में एलटी ग्रेड शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों का अब तक सत्यापन नहीं हो सका है, लेकिन उन्हें वेतन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। ज़ी ने बताया कि किसी भी नियुक्ति में वेतन तब तक जारी नहीं होता, जब तक कि अभ्यर्थियों के शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन न हो जाए। पत्रवली मिलने पर अभिलेखों का सत्यापन किया जाएगा।