नई दिल्ली : बच्चे गांवों में सुरक्षित रहें और उन्हें वह जरूरी सुविधाएं गांवों में ही मिले जिसकी तलाश में वह शहरों का रुख करते हैं, इसके लिए चाइल्ड राइट्स की टॉप बॉडी ने पहल की है। गांव से भागकर या तस्करी होकर शहर पहुंचे बच्चों को बचाने के लिए नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) ने पंचायती राज मंत्रालय के साथ मिलकर प्लान तैयार किया है। जिसकी शुरुआत आज (सोमवार) से की जाएगी।
NCPCR मेंबर रूपा कपूर ने बताया कि बच्चे गांवों से शहरों की ओर इसलिए माइग्रेट कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि गांवों में उनके लिए कोई सुविधा और मौके नहीं हैं। बच्चों के लिए बहुत सारी स्कीमें तो हैं लेकिन वह उन तक पहुंच नहीं रही हैं। इसलिए हमने कई एनजीओ के साथ मिलकर ‘नो कॉस्ट बेस्ड’ प्रोग्राम तैयार किया है। अभी शुरुआत 14 राज्यों से की जा रही है जहां स्टेट कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स मजबूत हैं। बाद में इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। इन राज्यों के हर पंचायत में एक बाल पंचायत बनाई जाएगी साथ ही बच्चों के लिए रिक्रिएशनल एक्टिविटी का पूरा इंतजाम किया जाएगा। यह सब पंचायत की प्लानिंग का ही हिस्सा होगा। क्लास सात और आठ के बच्चों के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग का इंतजाम भी किया जाएगा।
बच्चे बेहतर जिंदगी की तलाश में शहरों को भागकर न आएं और कोई उन्हें लालच देकर गलत तरीके से शहरों में न ले आए इसलिए इन राज्यों की सभी पंचायत 0 से 18 साल के बच्चों की लिस्टिंग करेगी। जब बच्चा पैदा होने वाला होगा तब से ही उसका नाम इस लिस्ट में होगा। जिस लिस्ट के आधार पर पंचायत अपने गांव के बच्चों को ट्रैक करेगी। अगर इस लिस्ट में शामिल कोई बच्चा गांव में नहीं है तो उसका पूरा पता लगाया जाएगा कि बच्चा कहां गया। अगर वह माइग्रेट होकर कहीं जाता है तब भी उसका रेकॉर्ड रखना होगा और उससे संपर्क रखना होगा। इससे बच्चों के खोने की आशंका कम होगी।
कमिशन ने पंचायत सदस्यों की ट्रेनिंग के लिए पूरा मैनुअल भी तैयार किया है और हैंडबुक भी बनाई गई है। जिसमें सभी ऐसे सवालों के जवाब हैं जिनके बारे में अब तक पंचायत स्तर पर सोचा नहीं गया था। यह शुरू होने के एक साल बाद इसका रिव्यू किया जाएगा। जिस भी पंचायत में पॉजिटिव साइन दिखेंगे उन्हें सम्मानित किया जाएगा।