भर्तियों में गड़बड़ी के मामले में उप्र लोक सेवा आयोग के बाहर प्रदर्शन पर शिकंजा और भीतर कर्मचारी यूनियन को मिली छूट ने अभ्यर्थियों का आक्रोश और बढ़ा दिया है। अब प्रयागराज के प्रतियोगी बाहुल्य क्षेत्रों व सोशल मीडिया पर सरकारी दमन के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। बुधवार को प्रतियोगी छात्र संघर्ष न्याय मोर्चा के बैनर तले अभ्यर्थियों ने त्रिवेणी संगम में जल सत्याग्रह कर विरोध जताया। भर्तियों में भ्रष्टाचार के खात्मे का सभी ने संकल्प लिया।
बुधवार को संगम के पवित्र जल में खड़े होकर प्रतियोगी छात्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ युवाओं से किया गया अपना वादा भूल गए। कहा कि यूपीपीएससी से होने वाली भर्ती परीक्षाओं में सौदेबाजी का भंडाफोड़ हो चुका है तो अभ्यर्थियों के भविष्य के प्रति संजीदा होने के बजाए उन्हें जेल भेजा जा रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष उदय प्रकाश यादव, अखिलेश गुप्ता और विवेकानंद पाठक आदि ने कहा कि छात्रों की आवाज को पुलिस के बट और बूट नहीं रोक सकते। युवा मंच ने धरना प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों की प्रयागराज व वाराणसी में गिरफ्तारी को सरकारी दमन बताया है। राजेश सचान और अनिल सिंह आदि पदाधिकारियों ने कहा कि सड़क पर धरना प्रदर्शन की इजाजत नहीं तो यूपीपीएससी परिसर में भ्रष्ट अधिकारियों के बचाव में उतरे कर्मचारी यूनियन को अनशन की छूट क्यों दी जा रही है। संगठन ने पीसीएस एसोसिएशन से यूपीपीएससी के भ्रष्ट अधिकारियों का बचाव न करने और 2017 से अब तक हुई परीक्षाओं की सीबीआइ जांच कराने की मांग की। प्रयागराज के अपट्रॉन चौराहा गोविंदपुर में सिद्धार्थ मिश्र के नेतृत्व में बैठक हुई। इसमें पीसीएस 2018 की परीक्षा में पहले तो परीक्षा प्रणाली में यूपीएससी की तर्ज पर बदलाव तथा मौजूदा उत्पन्न स्थिति से प्रभावित अभ्यर्थियों को पीसीएस 2019 और 2020 की परीक्षा में अवसर दिए जाने की मांग की है। कहा है कि उन अभ्यर्थियों को मौका दिया जाए जिन्हें सी-सैट से प्रभावित होने पर तो दो अवसर का लाभ दिया गया लेकिन, यूपीपीएससी की व्यवस्थाओं के चलते उन्हें नुकसान उठाना उठाना पड़ा।