इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 68,500 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है। अदालत ने कम क्वालीफाइंग अंक (उत्तीर्ण प्रतिशत)वाले शासनादेश के अनुसार भर्ती परीक्षा 2018 का परिणाम घोषित करने की मांग वाली याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं। यह आदेश जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने भर्ती परीक्षा के सैकड़ों अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल पांच दर्जन याचिकाओं को खारिज करते हुए पारित किया।
कोर्ट ने पूर्व में सुनवाई पूरी करके अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। मंगलवार को कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी के तर्को से सहमति जताते हुए आदेश पारित किया कि जब किसी मानदंड के तहत भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो उसे बीच में बदलना विधि सम्मत नहीं है। 21 मई 2018 का शासनादेश परीक्षा के मात्र छह दिन पहले पारित किया गया था जो उचित नहीं था।
दरअसल विभिन्न याचिकाएं दायर कहा गया था कि परीक्षा के लिए 21 मई 2018 को शासनादेश पारित करते हुए क्वालीफाइंग अंक को घटाकर सामान्य के लिए 33 व एससी-एसटी के लिए 30 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि 9 जनवरी 2018 के शासनादेश के मुताबिक उक्त परीक्षा के सम्बंध में सामान्य व ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए क्वालीफाइंग अंक 67 अर्थात 45 प्रतिशत था जबकि एससी-एसटी वर्ग के लिए यह 60 अर्थात 40 प्रतिशत था। कुछ अभ्यर्थियों ने 21 मई 2018 के शासनादेश को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी कि परीक्षा के छह दिन पहले परीक्षा का मानदंड बदलना विधि सम्मत नहीं।
यह होगा असर
- फैसले से 68,500 भर्ती में नियुक्ति पाने वाले करीब 45 हजार से अधिक शिक्षकों को राहत मिल गई है।
- नियुक्त हो चुके शिक्षकों पर कोई असर नहीं होगा, बल्कि सरकार इस भर्ती में अब आगे के निर्णय ले सकती है।
- सरकार करीब 23 हजार रिक्त पदों को खाली घोषित कर सकती है ताकि उन्हें अगली भर्ती में शामिल किया जा सके।
यह था मामला: कटऑफ सामान्य व ओबीसी के लिए 45 व अन्य आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत तय किया था। जिसे लिखित परीक्षा के पहले बदलकर क्रमश: 33 व 30 कर दिया गया था। मामला हाईकोर्ट पहुंचा और अंतरिम आदेश पर भर्ती का परिणाम जारी हुआ था।