69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बड़ा फैसला लिया है। जस्टीस राजेश सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा परीक्षा के बाद 60 और 65 प्रतिशत कट क्वालिफाइंग मार्क्स तय करने के फैसले को खारिज कर दिया। उक्त शासनादेश के द्वारा जनरल व रिजर्व कैटेगरी के लिए क्रमशः 65 व 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित किया गया था।
हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत दर्जनों याचिकाओं को मंजूर करते हुए कहा कि पिछले सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा की भांति क्वालिफाइंग मार्क्स तय करते हुए रिजल्ट तीन महीने में घोषित करें। उल्लेखनी है कि 2018 भर्ती परीक्षा में 40 से 45 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स था।
राज्य सरकार ने 1 दिसम्बर 2018 प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रकिया का आयोजन किया था। 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा का आयोजन किया था। सरकार ने बाद में 7 जनवरी को सामान्य वर्ग के लिए 65 व ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय किये थे। सरकार के इसी निर्णय को याचियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचियों का तर्क है कि शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स तय करना नियम के विरुद्ध है। वहीं सरकार का कहना है कि वह मेरिट से समझौता नहीं कर सकती।सरकार का यह भी कहना है कि उसकी मंशा क्वालिटी एजुकेशन देने की है और उसके लिए अच्छे अध्यापकों की आवश्यकता है।
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