विडंबना है कि प्राथमिक विद्यालयों की 68500 शिक्षक भर्ती एक साल बाद भी पूरा होने का नाम नहीं ले रही है, वहीं 69000 सहायक अध्यापक भर्ती एक साल में शुरू नहीं हो सकी है। 69 हजार पदों पर नियुक्ति पाने के लिए चार लाख से अधिक अभ्यर्थी राह देख रहे हैं लेकिन, कटऑफ अंक का विवाद ऐसा बढ़ा कि अब तक लिखित परीक्षा का परिणाम जारी नहीं हो सका है और न ही भर्ती का कटऑफ अंक ही तय हो सका है। यह भर्ती 15 फरवरी 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य तय था, हालात यह हैं कि फरवरी 2020 में भी चयनितों को नियुक्ति मिल पाने के आसार नहीं है।
शासन ने 69000 शिक्षक भर्ती का आदेश एक दिसंबर 2018 को जारी किया था। अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन लेकर छह जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा कराई गई। दूसरे ही दिन यानी सात जनवरी को शासन ने भर्ती का कटऑफ अंक तय किए। इसमें सामान्य वर्ग के लिए 65 व आरक्षित वर्ग के वे अभ्यर्थी ही परीक्षा उत्तीर्ण होंगे जो 60 प्रतिशत अंक हासिल करेंगे। इसी शासनादेश को लेकर विवाद हो गया। दरअसल, यह भर्ती शीर्ष कोर्ट के आदेश पर शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद होने के बाद खाली पदों को भरने के लिए कराई जा रही थी। प्रदेश सरकार भर्ती दो चरणों में करा रही है। पहले चरण में 68500 पदों की लिखित परीक्षा व 45000 से अधिक को नियुक्ति मिल चुकी है। उसमें शासन ने सामान्य व ओबीसी का कटऑफ 45 और एससी-एसटी का 40 प्रतिशत अंक तय किया था। शिक्षामित्रों का कहना है कि शासन ने जानबूझकर दूसरी भर्ती में कटऑफ अंक अधिक कर दिया है, बेसिक शिक्षा महकमे के अफसरों का कहना है कि कटऑफ अंक परीक्षा में बैठे अभ्यर्थियों के हिसाब से तय हुआ है। 68500 में सिर्फ एक लाख आठ हजार अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे, जबकि 69000 शिक्षक भर्ती में दावेदारों की संख्या चार लाख 10 हजार 440 है। अंक को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और कोर्ट ने रिजल्ट जारी करने पर रोक लगा दी, तब से न परिणाम आया है और न ही कोर्ट से कटऑफ अंक पर निर्णय हो सका है।