प्रयागराज : परिषदीय स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की न भर्ती पूरी हुई है और न ही आरोपियों पर कार्रवाई का सिलसिला थम रहा है। भर्ती में अंकों की हेराफेरी करने वालों पर एक वर्ष बाद एफआइआर दर्ज हो गई है। इसकी नौबत इसीलिए आई क्योंकि हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया था। हालांकि जिन प्रवक्ताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ है, उन पर विभागीय कार्रवाई भी होगी, आरोपपत्र परीक्षा संस्था तैयार कर रही है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा में गड़बड़ियों का खुलासा पिछले वर्ष रिजल्ट आने के साथ ही हुआ था। जैसे ही कुछ अभ्यर्थियों को परीक्षा संस्था से स्कैन कॉपी मिली, खामियों की फेहरिश्त और लंबी हो गई, क्योंकि कुछ अभ्यर्थियों की कॉपी ही बदल गई थी। शासन ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई उसमें सामने आया कि 343 कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी हैं, जबकि 51 ऐसे अभ्यर्थी थे कॉपी पर उत्तीर्ण थे लेकिन उन्हें फेल करार दिया गया, जबकि 53 ऐसे मिले जो कॉपी पर अनुत्तीर्ण होकर भी नियुक्ति पा गए थे। कॉपी के मूल्यांकन और अंकों को चिट पर दर्ज करने में गड़बड़ी पर 38 राजकीय शिक्षक चिन्हित हुए थे। उन पर कार्रवाई के लिए पांच अक्टूबर 2018 को शासनादेश भी जारी हुआ। परीक्षा संस्था ने सभी को नोटिस देकर जवाब तलब किया है। विभागीय कार्रवाई के लिए अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखने से पहले ही हाईकोर्ट ने अंकों की हेराफेरी करने वालों पर एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए। उस मामले की सुनवाई 11 दिसंबर को होनी है, उसके पहले ही 49 अभ्यर्थियों व 38 शिक्षकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। ज्ञात हो कि पुनमरूल्यांकन में कुछ अनुत्तीर्ण अभ्यर्थी सफल हो गए थे। परीक्षा संस्था की मानें तो विभागीय कार्रवाई के लिए जल्द ही शिक्षा विभाग को पत्र भेजा जाएगा। उधर, भर्ती की गड़बड़ी मामले में तत्कालीन सचिव सुत्ता सिंह, परीक्षा नियामक प्राधिकारी रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी, उप रजिस्ट्रार प्रेमचंद्र कुशवाहा व राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान की प्रोफेसर वर्चस्वनी जौहरी को निलंबित किया था। उनमें से कई बहाल हो चुके हैं, साथ ही सात पर्यवेक्षकों पर कार्रवाई होना है।