डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) 2020 में प्रवेश की प्रक्रिया विश्वविद्यालयों से स्नातक परीक्षा का परिणाम आने के बाद ही शुरू हो पाने की उम्मीद है. परीक्षा संस्था ने शासन को प्रस्ताव भेजा है कि डिग्री कालेजों के परिणाम का इंतजार किया जाए, अन्यथा अधिकांश सीटें खाली रह जाएंगी और प्रवेश शुरू कराने का कोई औचित्य नहीं रहेगा. प्रस्ताव में पिछले वर्षो में 35 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली रहने का भी उल्लेख किया गया है.
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण डीएलएड 2020 में प्रवेश को लेकर असमंजस बना है. परीक्षा संस्था ने पहले फरवरी और फिर मार्च में प्रस्ताव भेजा था. उस समय शासन ने अनुमति नहीं दी. बाद में डिग्री कालेजों की परीक्षाएं और परिणाम भी अधर में लटक गए. इस बीच जून में ही प्रवेश शुरू कराने की चर्चा तेज थी, उस समय भी स्नातक के रिजल्ट के इंतजार किया गया. परीक्षा संस्था ने गुरुवार को इस संबंध में भेजा है कि बिना स्नातक अंतिम वर्ष का परिणाम घोषित हुए प्रवेश शुरू कराना उचित नहीं होगा, क्योंकि बड़ी संख्या में सीटें खाली रह सकती हैं. संस्था की ओर से कहा गया है कि पिछले वर्षो में परिणाम आने के बाद प्रवेश शुरू होने पर 30 से 35 प्रतिशत सीटें नहीं भर सकी थीं. यदि बिना रिजल्ट आए प्रवेश शुरू हुए तो संभव है कि अधिकांश सीटें खाली रह जाएं. ऐसे में प्रवेश कराने का कोई औचित्य नहीं रहेगा. ज्ञात हो कि प्राथमिक स्कूलों में बीएड को मान्य करने के बाद से डीएलएड के प्रति युवाओं का रुझान घटा है. प्रदेश के 67 डायटों में करीब 10600 सीटें हैं वहीं तीन हजार से अधिक निजी कालेजों में 2,18,550 सीटें हैं. कई निजी कालेज ऐसे हैं जहां पिछले वर्षो में प्रशिक्षुओं ने प्रवेश नहीं लिया है. यही नहीं इस बार आर्थिक रूप से पिछड़े गरीबों को भी 10 प्रतिशत का प्रवेश में आरक्षण दिए जाने की तैयारी है.
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