नई दिल्ली – दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बतौर अतिथि शिक्षक सेवा दे चुके शिक्षकों को सरकार ने फिर आश्वासन दिया है कि उनकी दोबारा नियुक्ति की जाएगी। उन्हें पक्की नौकरी देने के लिए सरकार विधानसभा में बिल लाने जा रही है। फरवरी 2015 में जबसे आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तबसे पक्की नौकरी की मांग को लेकर अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन जारी है। कभी मुख्यमंत्री निवास के बाहर तो कभी उपमुख्यमंत्री निवास के बाहर। अपनी मांगें बताने के लिए वे घंटों तक गेट के बाहर खड़े रहते थे, लेकिन शुरू के महीनों में इनकी अनदेखी की गई। वर्ष 2015 में जब स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ तब स्कूल में शिक्षकों की जरूरत महसूस हुई। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और उन्हें पक्की नौकरी का आश्वासन दिया।
कुछ माह तक सब कुछ ठीक चला, लेकिन जब कुछ अतिथि शिक्षकों को हटाने और उनकी जगह नए शिक्षकों को रखने आदि की प्रक्रिया शुरू हुई तो शिक्षकों ने फिर आंदोलन शुरू किया। 8 जून 2016 को एक दिन फिर मनीष सिसोदिया ने दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि अतिथि शिक्षकों ने अब तक जितने भी वर्ष कार्य किया है, उन्हें उसका अनुभव प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। तबादले और पदोन्नति से स्थायी शिक्षकों के आने से हटाए गए जिन Guest Teachers को अब तक नियुक्ति नहीं मिली है, शीघ्र उनकी नियुक्ति करने का भरोसा दिया गया। शिक्षा मंत्री ने ज्यादातर मांगों को स्वीकार कर लिया था। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मांग की है कि परीक्षा के लिए जो अंक भार 0.75 निर्धारित किया गया है उसे बढ़ाकर 5 अंक प्रति वर्ष किया जाए और स्थायी होने तक अतिथि शिक्षकों को दैनिक वेतन की जगह मासिक आधार पर वेतन दिया जाए।
दिल्ली सरकार का गेस्ट शिक्षकों को नियमित करने का फैसला: दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकारी स्कूलों में कार्यरत 15 हजार गेस्ट शिक्षकों को नियमित करने की घोषणा की है। उन्होंने प्रेसवार्ता में बताया कि बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में विधेयक को मंजूरी दे दी गई। विधेयक को स्वीकृति के लिए 4 अक्टूबर को दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने इस विधानसभा चुनाव में इसका वादा किया था। इसलिए आज मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है कि गेस्ट शिक्षकों को नियमित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस काम को रोकने के लिए पहले कई कोशिश हुई थीं। पूर्व एलजी ने अतिथि शिक्षक को ज्यादा वेटेज देने से मना कर दिया था।
दिल्ली सरकार नियमित शिक्षकों की तरह ही दे वेतन व सुविधाएं: दिल्ली सरकार ने फिर अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की घोषणा की है। इस पर अतिथि शिक्षकों का कहना है सिर्फ नियमित करने की घोषणा से अतिथि शिक्षकों को पूर्ण न्याय नहीं मिल सकता है। जब तक दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नियमित की तरह अतिथि शिक्षकों को वेतन, भत्ते व सुविधा नहीं दे देती है तब तक अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की घोषणा सिर्फ दिखावा है।
अखिल भारतीय अतिथि शिक्षक संघ के पदाधिकारी शोएब राणा का कहना है कि कई वर्षो से 17 हजार से अधिक अतिथि शिक्षक दिल्ली के राजकीय स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस दौरान उनसे काम तो नियमित शिक्षकों की तरह लिया जाता है, लेकिन उन्हें वेतन व भत्ते बहुत कम दिए जाते हैं। सरकार अगर अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की तैयारी कर रही है तो इसका स्वागत होना चाहिए, लेकिन नियमित करने की प्रक्रिया समान अधिकार के बिना अधूरी है। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीन तोगड़िया का कहना है कि अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की घोषणा कर राजनीति का प्रयास नहीं होना चाहिए, यह शिक्षा व बच्चों से जुड़ा हुआ विषय है।
प्रमुख मांगें
- अतिथि शिक्षकों के अनुभव को प्रमोशन में जोड़ा जाए।
- नियमित शिक्षकों की तरह अतिथि शिक्षकों के लिए भी सीएल का प्रावधान किया जाए।
- अतिथि शिक्षक जिस स्कूल में पढ़ा रहे हैं, नियमित करने के बाद उन्हें उस ही स्कूल में नियुक्त किया जाए।
- नियमित शिक्षकों की तरह वेतन, भत्ते, चिकित्सा सुविधा, टीए, डीए व एचआरए का लाभ दिया जाए।
- नॉन सीटेट पास अतिथि शिक्षकों को सीटेट पास करने के लिए 2019 तक का समय दिया जाए और जो इस समय तक सीटेट पास कर लें उन्हें नियमित किया जाए।
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