अब विद्यार्थियों का बेहतर प्रदर्शन गुरुजी को पुरस्कार भी दिलाएगा। उच्च शिक्षा विभाग राज्य शिक्षक पुरस्कार की नियमावली में संशोधन करने जा रही है। सरस्वती पुरस्कार व शिक्षक श्री पुरस्कार के लिए आगे प्रतिस्पर्धा और कड़ी होगी। अब शिक्षक जिस कक्षा में पढ़ा रहा है उसका रिजल्ट कैसा गया इसके अंक भी दिए जाएंगे।
वहीं उनके द्वारा पढ़ाए जा रहे विद्यार्थियों में से कितने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) और जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हुए यह भी देखा जाएगा। शिक्षकों की वरिष्ठता के भी अंक होंगे। अभी तक एकेडमिक परफार्मेश इंडीकेटर्स (एपीआइ) के आधार पर ही शिक्षकों को यह पुरस्कार दिए जा रहे हैं।
इसमें उनके प्रकाशित रिसर्च पेपर, पुस्तकें व सेमिनार इत्यादि के ही अंक हैं, क्लासरूम टीचिंग के नहीं। अब यह भी शामिल होंगे। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा राज्य शिक्षक पुरस्कार की नियमावली में संशोधन के लिए क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. ज्ञान प्रकाश वर्मा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की पहली बैठक दस दिसंबर को होगी।
फिलहाल नियमावली में संशोधन कर अब इसमें शिक्षकों द्वारा किए गए शिक्षण कार्य के भी अंक शामिल किए जाएंगे। शिक्षण कार्य को विद्यार्थियों के रिजल्ट से आंका जाएगा। अभी अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में रिसर्च पेपर प्रकाशित होने पर 25 अंक प्रति प्रकाशन और राष्ट्रीय जर्नल में 10 अंक प्रति प्रकाशन के दिए जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशक द्वारा छापी गई पुस्तक के 30 अंक और राष्ट्रीय प्रकाशक द्वारा प्रकाशित पुस्तक के 20 अंक दिए जाते हैं। वह अगर 30 लाख रुपये से ऊपर का रिसर्च प्रोजेक्ट लाए हैं तो उसके 20 अंक, पांच लाख से ऊपर के रिसर्च प्रोजेक्ट के 15 अंक निर्धारित हैं।
सेमिनार, व्याख्यान, शोध निर्देशन व फैलोशिप इत्यादि के भी अलग-अलग अंक हैं। वहीं अभी तक निजी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों राज्य पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं कर सकते लेकिन अब उन्हें भी सशर्त छूट दी जाएगी। फिलहाल अब राज्य शिक्षक पुरस्कार की नियमावली में संशोधन किया जाएगा।
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