परिषदीय स्कूलों में अब शैक्षिक सुपरविजन पर जोर होगा। शैक्षिक सुपरविजन के लिए तैनात किए गए एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) का कामकाज तय करने के बाद अब उनकी क्षमता बढ़ाने के इंतजाम में बेसिक शिक्षा विभाग जुटा है।
शैक्षिक सुपरविजन के लिए हर ब्लॉक में पांच एआरपी और एक डायट मेंटर की व्यवस्था की गई है। बच्चों में लर्निंग आउटकम सुनिश्चित करने के लिए एआरपी की मुख्य भूमिका शिक्षकों और स्कूलों के शैक्षिक सुपरविजन में सहयोग देना है। उन्हें बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा तैयार करायी गई शिक्षण सामग्रियों का इस्तेमाल कक्षा शिक्षण में कराना है। सहयोगात्मक सुपरविजन के लिए विकसित डैशबोर्ड की निगरानी भी करनी है। बच्चों के परीक्षा परिणामों का विश्लेषण भी करना है। शासन ने सभी जिलाधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि एआरपी की क्षमता बढ़ाने और डाटा के विश्लेषण में मदद के लिए उन्हें टैबलेट मुहैया कराने की व्यवस्था की जाए।
शैक्षिक सुपरविजन के काम में मदद के लिहाज से उन्हें टीचिंग लर्निंग मैटीरियल भी उपलब्ध कराया जाना है। एससीईआरटी और उसकी सहयोगी संस्थाएं इसका मॉडल विकसित कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे अभिनव प्रयोगों की जानकारी हासिल करने के लिए एआरपी को दूसरे राज्यों के भ्रमण की सुविधा भी दी जाएगी। उत्कृष्ट और प्रेरणादायी भूमिका निभाने वाले एआरपी को पुरस्कृत भी किया जाएगा। हर एआरपी को प्रत्येक माह 30 विद्यालयों का सपोर्टिव सुपरविजन करना है। स्कूल के भ्रमण के दौरान उन्हें हर कलास की 30 मिनट मॉनीटरिंग करनी होगी। एआरपी शिक्षकों से वार्ता कर उन्हें सटीक इनपुट देंगे और बच्चों का लनिर्ंग आउटकम सुनिश्चित करने के लिए सहयोग देंगे।